श्री नीतीश्वर कुमार

होश आती है तेरे आग़ोश में, शाम ढलती है तेरे ज़रदोज़ में, खिलखिलाती तबस्सुम तू जाम है,

आज जाने की ज़िद न करो...

कवि, कहानीकार, गीतकार और गायकी, नीतीश्वर कुमार की रचनात्मकता के कई प्रतिबिम्ब आपको दिखेंगे। 1967 में बिहार के उत्तरी छोर पर एक छोटे से शहर बेतिया में उनका जन्म हुआ. गीत संगीत में रूचि बचपन से ही थी और किताबों की दुनिया के साथ साथ ये दुनिया भी चलती रही। ग्रेजुएशन और पोस्ट- ग्रेजुएशन करने दिल्ली आये. अर्थशास्त्र विषय चुना लेकिन कविता और संगीत में जीवन का अर्थ हमेशा तलाशते रहे। 1996 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए और एक क्षमतावान अधिकारी के तौर पर अपनी पहचान बनाई. कहीं भी रहे हों कविता, गीत संगीत का एक नया दौर, एक सिलसिला चलता रहा. स्वयं भी मानते हैं कि आईएएस बनना तो मेहनत, सही रणनीति और संयोग से संभव है लेकिन कविता तो बस, बरबस ही फूटती है। उनकी रचनाओं में आपको कविता का ये रूहानी रूप जगह जगह दिखेगा।

कवि और प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ साथ नीतीश्वर कुमार अपनी ज़मीन, अपने परिवार से भी बहुत गहराई से जुड़े हैं। उनकी रचनाओं के पहले पाठक और श्रोता उनकी पत्नी और पुत्र- पुत्री ही हैं। इन्हें नीतीश्वर कुमार अपना सबसे बड़ा आलोचक और सबसे बड़ी ताक़त मानते हैं। इन दिनों नीतीश्वर कुमार अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते हैं।